अगर युवा ठान ले तो क्या नहीं कर लेता | अपने ही पारिवारिक डेरी उद्योग में कार्यरत राजस्थान के कोटा ज़िले के तीन युवाओं ने दुग्ध उत्पादों से थोड़ा आगे और सोचा और बेचने शुरू कर दिए गाय के गोबर से बनाये गए उपले| यह उद्यमी ई-कामर्स वेबसाइट अमेजन के ज़रिये उपले बेच रहे हैं। इनकी कंपनी का नाम है एपीईआई ऑर्गेनिक फूड्स | तीनों युवा कंपनी के निदेशक हैं | मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया की उन्हें इस उपलों के व्यापार में संभावनाएं दिखीं और वे तीन महीने से अमेजन पर उपले बेच रहे हैं।
इन क्वार्टर प्लेट के आकार के उपलों की कीमत प्रति दर्जन 120 रुपये है। ये युवा हर हफ्ते 500 से 1000 उपले बेच रहे हैं और इन्हे अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है, खास तौर से मुंबई, दिल्ली और पुणे से। उपलों को इस तरह पैक किया जाता है कि यह टूटे नहीं। प्रारंभ में गोबर को सुखाया जाता है। फिर इसे एक गोलाकार डाई में रखा जाता है जिसे गर्म किया जाता है। इसके बाद तैयार माल को कार्डबोर्ड बॉक्स में पैक किया जाता है और ग्राहक को भेजा जाता है। उन्होंने यह भी बताया की ऑनलाइन उपले बेचने का विचार टियर एक शहरों की मांग की वजह से आया, जहां पशुधन प्रबंधन और डेयरी की कमी है। इन शहरों में लोगों के बीच खास तौर पर इसकी मांग धार्मिक उद्देश्यों के लिए है। कंपनी का कोटा के निकट पशुधन फार्म 40 एकड़ में फैला हुआ है। यहां 120 गाएं है। यह आधुनिक सुविधाओं, प्रभावी संपर्क, कुशल श्रमिकों से लैस है।
परिवार के स्वामित्व वाले आर्गेनिक डेयरी दुग्ध ब्रांड का नाम ‘गऊ’ है। यह तीनों निदेशकों के नाम के पहले अक्षर से बना है, जिसमें गगनदीप सिंह (जी), अमनप्रीत सिंह (ए) और उत्तमजोत सिंह (यू) शामिल हैं। कोटा में 24 से 26 मई तक आयोजित हो रहे ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट (जीआरएएम) में इन उद्यमियों की भारी मांग होने की उम्मीद की जा रही है। निदेशकों ने कहा कि गायों का चारा आर्गेनिक रूप से स्वस्थ और पोषक वातावरण में उगाया जाता है। डेयरी फर्म के अपशिष्ट से बिजली, गैस, वर्मीकंपोस्ट और उपले बनाए जाते हैं। कंपनी ने पशुओं के लिए रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) लगाया जिससे जानवरों के स्वास्थ्य और पोषण पर दुनिया में कहीं से भी नजर रखी जाती है |
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