वाराणसी में खुलेगा आईआरआरआई का केंद्र

 एग्रीनेशन नेटवर्क

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्‍ट्रीय बीज अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्‍द्र (एनएसआरटीसी), वाराणसी, उत्‍तर प्रदेश के परिसर में अंतर्राष्‍ट्रीय चावल अनुसंधान संस्‍थान (आईआरआरआई), मनीला के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केन्‍द्र (आईएसएआरसी) की स्‍थापना का अनुमोदन किया है ।

यह केन्‍द्र भारत में देश का प्रथम अंतर्राष्‍ट्रीय संस्थान बनेगा तथा यह क्षेत्र में चावल उत्‍पादन को उपयोग में लाये जाने तथा उसको बनाये रखने में मुख्‍य भूमिका अदा करेगा । इसको  भारत और समान पारिस्‍थितिकी वाले अन्‍य दक्षिणी एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में खाद्य उत्‍पादन एवं कौशल विकास के लिए एक वरदान साबित होने की संभावना है ।

इस संस्थान के अंतर्गत चावल मूल्‍यवर्धन (सीईआरबीए) में एक उत्‍कृष्‍टता केन्‍द्र स्‍थापित किया  जाएगा । इसमें एक आधुनिक प्रयोगशाला शामिल होगी जिसमें खाद्यान्‍न और भूसे में निहित भारी धातु की गुणवत्‍ता एवं स्‍थिति सुनिश्‍चित करने की क्षमता होगी। यह केन्‍द्र चावल मूल्‍य श्रृंखला से जुड़े हितधारकों के लिए क्षमता निर्माण का कार्य भी करेगा।

 आईएसएआरसी का प्रबंधन

आईआरआरआई न्‍यासी बोर्ड के शासन के तहत आईएसएआरसी का प्रचालन किया जाएगा और आईआरआरआई आईएसएआरसी के निदेशक के रुप में एक उपयुक्‍त आईआरआरआई स्‍टाफ सदस्‍य को नियुक्‍त करेगा । समन्‍वय समिति का गठन किया जाएगा जिसमें अध्‍यक्ष के रुप में महानिदेशक, आईआरआरआई एवं सह-अध्‍यक्ष के रुप में सचिव, भारत सरकार, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्‍याण विभाग होंगे । समन्‍वय समिति के अन्‍य सदस्‍य- उप-महानिदेशक (फसल विज्ञान), आईसीएआर; निदेशक, एनएसआरटीसी; भारत में आईआरआरआई प्रतिनिधि, उत्‍तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि एवं नेपाल एवं बांग्‍ला देश सरकार के प्रतिनिधि एवं निजी क्षेत्र हैं ।

आईएसएआरसी से लाभ

चावलों की विशेष किस्‍मों को विकसित करने के लिए भारत की समृद्ध जैव विविधता को उपयोग में लाया जाएगा । इससे भारत को प्रति हैक्‍टेयर अधिक उपज और समुन्‍नत पोषाहारीय अंश प्राप्‍त करने में मदद मिलेगी । इसके द्वारा भारत की खाद्यान्‍न और पोषाहारीय संबंधी समस्‍या का भी निदान होगा । यह संस्थान देश में मूल्‍य श्रृंखला आधारित उत्‍पादन प्रणाली को अपनाने में भी सहायता देगा ।

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