गुजरात पहुँची किसान मुक्ति यात्रा ,छठवें दिन आदिवासी और किसानो ने मिलकर उठाई आवाज़ !

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गुजरात पहुँची किसान मुक्ति यात्रा ,छठवें दिन आदिवासी और किसानो ने मिलकर उठाई आवाज़ !

एग्रीनेशन नेटवर्क

व्यारा , जिला तापी | 11 जुलाई 2017

ध्यप्रदेश के मंदसौर से शुरू हुई किसान मुक्ति यात्रा, महाराष्ट्र से होती हुई आज छठवें दिन गुजरात के व्यारा में पहुँच गयी है।लोक संघर्ष मोर्चा के साथियों ने न्याय पाने के लिए किसान मुक्ति यात्रा में शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद की।आदिवासी इलाकों में जंगलों के अधिग्रहण से लोगों को बहुत समस्या हो रही है। सरदार सरोवर बाँध योजना के तहत लोगों की जमीन और पानी छीने जा रहा हैं।मोदी सरकार की निजीकरण की नीति ने गरीब किसानों और आदिवासियों के लिए एक दुःस्वप्न साबित हो रही है।

2व्यारा शहर में एक किसान रैली निकाली गई जिसमें हजारों की संख्या में किसान,आदिवासी और मजदूर शामिल हुए।इसके बाद किसान रैली व्यारा की अनाज मंडी में एक विशाल जनसभा में परिवर्तित हो गई।यहाँ मंदसौर के गोलीकांड में शहीद हुए किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद किसान नेताओं ने व्यारा की जनसभा को सम्बोधित किया।जनसभा में बोलते हुए योगेंद्र यादव ने गुजराती में ‘खेरुत एकता जिंदाबाद’ का स्वरनाद करते हुए सभा को सम्बोधित किया।उन्होंने कहा कि हम गुजरात का मॉडल पूरे देश में लाना चाहते हैं लेकिन वो मॉडल मोदी का नही बल्कि सरदार पटेल और महात्मा गांधी का होगा।उन्होंने कहा कि जब तक सरकार “ऋण मुक्ति और पूरे दाम” की माँग को पूरा नही करती हमारी लड़ाई जारी रहेगी।

ज्ञात हो कि हर साल इस देश का किसान लगभग 1.5 से 2 लाख करोड़ अनुदान देता है अर्थात यदि किसान को अपने फसल में लगे लागत से 50% अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलता तो किसान को 1.5 से 2 लाख करोड़ रूपये प्रतिवर्ष अधिक मिलते। पिछले 70 साल में लगभग यह राशि 100-140 लाख करोड़ बनती है। यह राशि आज देश पर किसानों का क़र्ज़ है। विदित हो कि सरकारी संगठनों के मुताबिक 2016 तक किसानों ने 12.99 लाख करोड़ रुपये बैंक से क़र्ज़ लिए हैं। इस 13 लाख करोड़ में से किसान केवल 3 लाख करोड़ रूपये का क़र्ज़ माफ़ करने की माँग कर रहा है। सरकार को चाहिए की देश पर जो किसानों का ऋण है उसके एवज़ में सरकार किसानों के द्वारा की जा रही ऋण माफ़ी की माँग को स्वीकार करें तथा उनके फसल का लागत से 50% अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करें, जिससे कि देश का किसान खुशहाल हो उन्हें सर उठाकर जीने का अधिकार मिल सके।

unnamed (2)व्यारा की जनसभा को सम्बोधित करते हुए किसान नेता वीएम सिंह ने कहा कि पिछले 70 साल में सरकारों ने किसान की स्थिति को बद से बदतर कर दिया है।नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि पटेल की बात करने वाले लोग बात से मुकरते नही हैं लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने तो सारी सीमाएं ही तोड़ दीं।नरेंद्र मोदी ने देश के किसान को केवल वादे और जुमले दिए हैं। उन्हें कहा कि हम इस संघर्ष की लड़ाई में पीछे हटने वाले नही हैं।

व्यारा की सभा को सम्बोधित करते हुए किसान नेता प्रतिभा शिंदे ने प्रकृति और मानव की एकता( आमू आखा एक छे) का संदेश दिया वहीं आदिवासी एकता परिषद के प्रमुख अशोक चौधरी ने कहा कि किसान मुक्ति यात्रा गुजरात और देश के किसान और आदिवासियों की एकता का सन्देशवाहक है।डॉक्टर सुनीलम ने अपने सम्बोधन में कहा कि जब-जब देश में कोई बड़ा किसान आंदोलन होता है सरकार उसे कुचलने के लिए गोली तक चलाने से नहीं चूकती।उन्होंने मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि देश के मोदानी(मोदी-अम्बानी) मॉडल =गुजरात मॉडल ने किसान, किसानी और गाँवों को बर्बाद कर दिया है।

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दिन की दूसरी जनसभा बारदोली में हुई। बारदोली की जनसभा में बोलते हुए राजस्थान के किसान नेता रामपाल ने कहा कि हमारे देश में किसान,मजदूर सब की स्थिति एक जैसी है। उन्होंने बीजेपी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि-ये सरकार भूमि अधिग्रहण के लिए तो कानून बना देती है लेकिन किसानों को फसल के पूरे दाम देने के लिए कोई कानून नही बनाती। इसी बात से पता चलता है कि अच्छे दिन का जुमला देने वाली मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है। ज्ञात हो कि रामपाल जाट ने सरकार के किसान विरोधी रवैय्ये से त्रस्त होकर राजस्थान में ‘गाँव बन्द आंदोलन’ चलाया है।

विदित हो कि बारडोली की ऐतिहासिक विशेषता को ध्यान में रखते हुए बारदोली में जनसभा की गई थी। 1928 में हुआ बारडोली सत्याग्रह एक प्रमुख किसान आंदोलन था जिसका नेतृत्व वल्लभ भाई पटेल ने किया था। उस समय प्रांतीय सरकार ने किसानों के लगान में तीस प्रतिशत तक की वृद्धि कर दी थी। पटेल ने इस लगान वृद्धि का जमकर विरोध किया। सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा। इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की। किसान संघर्ष एवं राष्ट्रीय स्वाधीनता संग्राम के अंर्तसबंधों की व्याख्या बारदोली किसान संघर्ष के संदर्भ में करते हुए गांधीजी ने कहा कि इस तरह का हर संघर्ष, हर कोशिश हमें स्वराज के करीब पहुंचा रही है और हम सबको स्वराज की मंजिल तक पहुंचाने में ये संघर्ष सीधे स्वराज के लिए संघर्ष से कहीं ज्यादा सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

विदित हो कि किसान मुक्ति यात्रा में हर दिन एक किसान नेता को समर्पित किया जाएगा। जहाँ कल का दिन महान किसान नेता ‘प्रोफेसर महंता देवारू ननजुन्दास्वामी’ को समर्पित किया गया था वहीं आज का दिन बिरसा मुंडा और सरदार पटेल को समर्पित किया गया है।ज्ञात हो कि जहाँ सरदार पटेल को किसानों के लिए संघर्ष करने के लिए ही बारदोली की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी वहीं बिरसा मुंडा को आदिवासी किसानों ने अपना भगवान माना है। बिरसा मुंडा ने आदिवासी अधिकारियों के लिए संघर्ष करते हुए अपने प्राण दे दिए थे।

किसान नेता वी एम सिंह,राजू शेट्टी, रामपाल जाट, हन्नान मौला, अविक साहा, डॉक्टर सुनीलम, दर्शन पाल, के चंद्रशेखर, कविता कुरुग्न्थी और योगेंद्र यादव यात्रा में शामिल रहे। यह किसान मुक्ति यात्रा मध्यप्रदेश के मंदसौर से शुरू होकर 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँचेगी। इस यात्रा के साथ हज़ारों की संख्या में किसान जंतर-मंतर पहुँचेंगे और अपनी दोनों मुख्य माँगों के पक्ष में अनिश्चित कालीन धरना करेंगे।

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