एग्री नेशन न्यूज़ नेटवर्क
पटना. 11 जून 2018
उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में जल्द ही अलग से बांस नीति बनेगी। अब तक यह एग्रो फोरेस्ट्री पॉलिसी का हिस्सा था। इसके लिए विभाग टास्क फोर्स का गठन करेगा। भागलपुर में बांस के टिश्यू कल्चर लैब की क्षमता को दोगुना किया जाएगा। इसी के साथ सुपौल और अररिया में भी जल्द ऐसे लैब शुरू होंगे। अररिया की लैब में किसानों और कारीगरों की ट्रेनिंग के लिए केंद्र बनेगा। राज्य में चल रही ‘बम्बू मिशन योजना को कृषि विभाग से हटाकर वन विभाग को दिया जाएगा। काम अब भी वन विभाग ही करता है। लिहाजा योजना भी उसी विभाग के अधीन होनी चाहिए।
उप मुख्यमंत्री सह पर्यावरण एवं वन मंत्री शनिवार को बम्बू कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। आयोजन यहां के एक होटल में पर्यावरण एवं वन विभाग ने किया था। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि भागलपुर में बांस के टिस्यू क्लचर लैब की क्षमता डेढ़ लाख पौधों की है। इसे तीन लाख तक बढ़ाया जाएगा। राज्य के किसानों को बांस की खेती की आधुनिक तकनीक सीखने के लिए असम, त्रिपुरा और मिजोरम भेजा जाएगा।
श्री मोदी ने कहा कि राज्य सरकार ने फैसला किया है कि नदियों के तटबंधों पर बांस लगाए जाएंगे। दूसरे पौधे भी लगेंगे, लेकिन उसमें 40 प्रतिशत हिस्सा बांस का होगा। यह भू क्षरण को रोकता है। साथ ही बांस की खेती को उद्योग से भी जोड़ने की पहल शुरू की जाएगी। प्रधानमंत्री ने बांस को घास की श्रेणी में लाकर इसको काटने में आने वाली बड़ी बाधा दूर कर दी है।
वन विभाग अपने नियमों को लचीला बनाए : गिरिराज
केन्द्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वन विभाग विकास योजनाओं में सबसे बड़ा बाधक है। उसे अपने नियमों को लचीला करना चाहिए। देश में अभी छह हजार करोड़ अगरबत्ती की सीक विदेश से मंगानी पड़ती है। बांस की खेती का माहौल बनाकर इसे रोका जा सकता है। कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने में बांस की खेती सहायक है। राज्य के 13 जिलों में इसकी खेती हो रही है।
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