एग्रीनेशन न्यूज़ नेटवर्क
दिल्ली. 16 जुलाई 2018
खरीफ की सीजन में किसान धान रोपाई करने और बाजारा बुआई की तैयारी में लगे है। ऐसे में डीएपी, यूरिया, पोटॉश, जिंक सल्फेट की मांग बढ़ गई है। जिसके चलते नकली उवर्रक माफिया भी सक्रिय हो गए है. ऐसे माफियाओं की ठगी से बचने के लिए किसान आसानी से उर्वरक असली है या नकली इसकी पहचान कर सकते है। डीडी कृषि रामवीर कटारा ने किसानों को असली उवर्रक की पहचान के कुछ उपाय बताए हैं।
पानी में घुल जाए यूरिया तो वह असली
किसान असली यूरिया की पहचान के लिए यूरिया को तवे पर डालकर हल्की आंच पर गर्म करे। अगर ऐसा करने पर यूरिया का कोई अवशेष न बचे तो समझ सकते है कि यूरिया नकली नहीं है। इसके अलावा यूरिया के दानों का पानी में पूरी तरह से घुल जाना और घोल छूने पर ठंडा लगना भी असली यूरिया की पहचान है।
तेज गंध निकले तो समझो असली है डीएपी
असली डीएपी की पहचान करने का तरीका बेहद साधारण है। पहचान करने के लिए किसान डीएपी के कुछ दानों को हाथ में लेकर तंबाकू की तरह उसमें चूना मिलाकर रगड़ना शुरू कर दे। ऐसा करने पर यदि उसमें से तेज गंध निकलने लगे और जिसे सूंघना मुश्किल हो जाए। तो समझे डीएपी असली है। इसके अलावा किसान दूसरी एक और विधि से असली डीएपी की पहचान कर सकते है। इस विधि के तह डीएपी के कुछ दानों को लेकर धीमी आंच पर तवे पर गर्म करें। ऐसा करने पर अगर दाने फूल जाते है तो डीएपी असली है।
गर्म करने पर नहीं फूलती सुपर फास्फेट
सुपर फास्फेट की असली पहचान के लिए इसके कुछ दानों को गर्म करें। ऐसा करने पर यदि दाने नहीं फूलते है तो सुपर फास्फेट असली है। अगर फूल जाते है तो समझो इसमें मिलावट की गई है। साधारण विधि से पहचान कर किसान ठगी से बच सकते है।
अवशेष न घुले तो असली
जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है। सामान्य होने के कारण इसके असली व नकली की पहचान करना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन डीएपी के घोल मे जिंक सल्फेट का घोल मिलाने पर थक्केदार घना अवशेष बनाया जाता है। जबकि डीएपी के घोल में मैगनीशियम सल्फेट का घोल मिलाने पर ऐसा नहीं होता है। जिंक सफेट के घोल में पलती कॉस्टिक का घोल मिलाने पर सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष प्राप्त होता है। इसमें गाढ़ा कॉस्टिक का घोल मिला दें तो यह अवशेष पूर्णतया घुल जाता है। इसी तरह से जिंक सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाए तो अवशेष नहीं घुलता है। यह असली की पहचान है।
न चिपके पोटाश तो असली
पोटाश का प्रयोग अक्सर किसान कीड़े खत्म करने के लिए करते है। इसके साथ ही इसके प्रयोग से फसल में चमक आती है। किसान असली पोटाश की पहचान के लिए इसका सफेद कड़ाका इसे नमक और लाल मिर्च जैसा मिश्रण पोटाश के कुछ दानों को नम करें और यह आपस में न चिपके तो असली पोटाश है। इसके अलावा असली पोटाश पानी में घुलने पर, लाल भाग पानी के ऊपर तैरना भी असली की पहचान है।
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