शक्ति शरण
लखनऊ / १८ मई २०१७
योगी सरकार ने मुख्य सचिव की अगुवाई में आठ सीनियर आईएएस अधिकारियों की एक कमेटी बनायी है, जो छत्तीस हज़ार करोड़ रुपयों के जुगाड़ के लिए फार्मूला बना रही है जो फिलहाल दूर की कौड़ी लग रही है।
RBI ने साफ साफ शब्दों में कर्ज देने से किया मना कर दिया है. ऐसे में किसान एक बार फिर उत्तरप्रदेश का किसान ठगा हुआ महसूस कर रहा है. किसानों की माफी को लेकर खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी आरबीआई के नियमों और योगी सरकार के वायदे के बीच फंस गई है। आरबीआई का कहना है कि राज्य सरकार तय सीमा से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकती। तो वहीं राज्य सरकार को किसानों से किया वादा निभाना है।
सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक लगभग 1 महीने बाद हुई। जिसमें कर्जमाफी का झुनझुना किसानों को दिया गया। जिसमें कहा गया कि 1 लाख से कम के लोन राज्य सरकार माफ करेगी। 1 लाख तक का कर्ज जो बैंकों द्वारा लिया गया हो और सिर्फ खेती के लिए लिया गया माफ होगा। टैक्टर बैल या बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया गया कर्ज माफ नहीं होगा।
आनन फानन में योगी सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक में आधी अधूरी कर्जमाफी का नियम लागू किया गया जिसके लिए बजट भी निर्धारित नहीं किया गया। कर्जमाफी की घोषणा के बाद से किसान बैंकों के चक्कर काट काटकर परेशान हो रहा है। बैंकों से किसानों को यह कहकर भगा दिया जाता है कि ऐसा कोई आदेश सरकार द्वारा अभीतक नहीं आया है। जबकि योगी सरकार को 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।
अब पचास दिन बाद योगी सरकार कर्जमाफी पर धर्मसंकट में फंसी है, क्योंकि आरबीआई केंद्र सरकार की कर्ज के मुद्दे पर नहीं सुन रहा है। वजह है वो कानून जो तय करता है कि राज्य और केन्द्र सरकार अपनी गारंटी पर कितना कर्ज ले सकती हैं। योगी सरकार ने बैंकों के लिए बॉन्ड जारी कर कर्ज माफी का तरीका निकाला था, लेकिन रिजर्व बैंक ने इसकी इजाजत नहीं दी। बिना किसी प्लानिंग के किये गए कर्जमाफी का फैसला किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है।
बैंकों के लिए सरकारी बॉन्ड एक तरह की बैंक गारंटी होती है कि बैंक किसानों से कर्ज का पैसा न लें यूपी सरकार बैंक को पैसे चुकाएगी और ऐसे किसानों का कर्ज माफ होता है। लेकिन आरबीआई का कहना है कि अगर यूपी सरकार को बॉंड के बदले ज्यादा कर्ज दिया तो देश के सारे प्रदेश कर्जे कीशक्ति शरण
योगी सरकार ने मुख्य सचिव की अगुवाई में आठ सीनियर आईएएस अधिकारियों की एक कमेटी बनायी है, जो छत्तीस हज़ार करोड़ रुपयों के जुगाड़ के लिए फार्मूला बना रही है जो फिलहाल दूर की कौड़ी लग रही है।
RBI ने साफ साफ शब्दों में कर्ज देने से किया मना कर दिया है. ऐसे में किसान एक बार फिर उत्तरप्रदेश का किसान ठगा हुआ महसूस कर रहा है. किसानों की माफी को लेकर खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश में किसानों की कर्जमाफी आरबीआई के नियमों और योगी सरकार के वायदे के बीच फंस गई है। आरबीआई का कहना है कि राज्य सरकार तय सीमा से ज्यादा कर्ज नहीं ले सकती। तो वहीं राज्य सरकार को किसानों से किया वादा निभाना है।
सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक लगभग 1 महीने बाद हुई। जिसमें कर्जमाफी का झुनझुना किसानों को दिया गया। जिसमें कहा गया कि 1 लाख से कम के लोन राज्य सरकार माफ करेगी। 1 लाख तक का कर्ज जो बैंकों द्वारा लिया गया हो और सिर्फ खेती के लिए लिया गया माफ होगा। टैक्टर बैल या बच्चों की पढ़ाई के लिए लिया गया कर्ज माफ नहीं होगा।
आनन फानन में योगी सरकार द्वारा कैबिनेट बैठक में आधी अधूरी कर्जमाफी का नियम लागू किया गया जिसके लिए बजट भी निर्धारित नहीं किया गया। कर्जमाफी की घोषणा के बाद से किसान बैंकों के चक्कर काट काटकर परेशान हो रहा है। बैंकों से किसानों को यह कहकर भगा दिया जाता है कि ऐसा कोई आदेश सरकार द्वारा अभीतक नहीं आया है। जबकि योगी सरकार को 50 दिन से ज्यादा हो चुके हैं।
अब पचास दिन बाद योगी सरकार कर्जमाफी पर धर्मसंकट में फंसी है, क्योंकि आरबीआई केंद्र सरकार की कर्ज के मुद्दे पर नहीं सुन रहा है। वजह है वो कानून जो तय करता है कि राज्य और केन्द्र सरकार अपनी गारंटी पर कितना कर्ज ले सकती हैं। योगी सरकार ने बैंकों के लिए बॉन्ड जारी कर कर्ज माफी का तरीका निकाला था, लेकिन रिजर्व बैंक ने इसकी इजाजत नहीं दी। बिना किसी प्लानिंग के किये गए कर्जमाफी का फैसला किसानों के लिए सिरदर्द बन गया है।
बैंकों के लिए सरकारी बॉन्ड एक तरह की बैंक गारंटी होती है कि बैंक किसानों से कर्ज का पैसा न लें यूपी सरकार बैंक को पैसे चुकाएगी और ऐसे किसानों का कर्ज माफ होता है। लेकिन आरबीआई का कहना है कि अगर यूपी सरकार को बॉंड के बदले ज्यादा कर्ज दिया तो देश के सारे प्रदेश कर्जे की लाइन में लग जाएंगे और इससे देश का आर्थिक बजट बिगड़ जाएगा।
इस फॉर्मूले के फेल होने पर नीति आयोग के साथ बैठक करके योगी सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती करने का मन बनाया है, लेकिन 36 हजार करोड़ का इंतजाम कैसे हो ये बड़ी चुनौती है।
मोदी के चुनावी वादे पे बाद में शर्तें लागू – अगर किसान ने एक भी किस्त जमा करवाई है तो क़र्ज़ माफ़ी का नहीं मिलेगा लाभ
हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के सभी लघु और सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ कर दिया है पर 31 मार्च 2016 के पश्चात फसली ऋण की किस्त जमा करने वाले किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल पाएगा। । बैंकों में लाभार्थी किसानों का डाटा तैयार किया जा रहा है। उसमें यह जानकारी मांगी गई हैं की किस किसान ने कितना ऋण किसान क्रेडिट कार्ड पर लिया है। 31 मार्च 2016 तक कितना ऋण किसान ने बैंक से लिया था। वित्तीय वर्ष 2016-17 में किसान ने कितना ऋण अदा किया। 31 मार्च 2017 को कितना लोन बाकी था। किसान के बारे में पूरी जानकारी के साथ उनका आधार कार्ड नंबर और मोबाइल नंबर की जानकारी भी मांगी गई है। सभी बैंकों से यह जानकारी इकट्ठा की जा रही है। अगर किसी किसान ने 31 मार्च 2016 के पश्चात फसली ऋण की कोई किस्त या लोन का पैसा जमा किया है तो वह किसान कर्जमाफी के दायरे में नहीं आएंगे। अगर किसान ने एक लाख रुपये का ऋण लिया था। एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच 30 हजार रुपये खाते में जमा कर दिए थे। तो उससे 70 हजार रुपये का ही ऋणमाफी लाभ मिलेगा। लाइन में लग जाएंगे और इससे देश का आर्थिक बजट बिगड़ जाएगा।
इस फॉर्मूले के फेल होने पर नीति आयोग के साथ बैठक करके योगी सरकार ने सरकारी खर्चों में कटौती करने का मन बनाया है, लेकिन 36 हजार करोड़ का इंतजाम कैसे हो ये बड़ी चुनौती है।
मोदी के चुनावी वादे पे बाद में शर्तें लागू – अगर किसान ने एक भी किस्त जमा करवाई है तो क़र्ज़ माफ़ी का नहीं मिलेगा लाभ
हालाँकि उत्तर प्रदेश सरकार ने सूबे के सभी लघु और सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ कर दिया है पर 31 मार्च 2016 के पश्चात फसली ऋण की किस्त जमा करने वाले किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल पाएगा। । बैंकों में लाभार्थी किसानों का डाटा तैयार किया जा रहा है। उसमें यह जानकारी मांगी गई हैं की किस किसान ने कितना ऋण किसान क्रेडिट कार्ड पर लिया है। 31 मार्च 2016 तक कितना ऋण किसान ने बैंक से लिया था। वित्तीय वर्ष 2016-17 में किसान ने कितना ऋण अदा किया। 31 मार्च 2017 को कितना लोन बाकी था। किसान के बारे में पूरी जानकारी के साथ उनका आधार कार्ड नंबर और मोबाइल नंबर की जानकारी भी मांगी गई है। सभी बैंकों से यह जानकारी इकट्ठा की जा रही है। अगर किसी किसान ने 31 मार्च 2016 के पश्चात फसली ऋण की कोई किस्त या लोन का पैसा जमा किया है तो वह किसान कर्जमाफी के दायरे में नहीं आएंगे। अगर किसान ने एक लाख रुपये का ऋण लिया था। एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच 30 हजार रुपये खाते में जमा कर दिए थे। तो उससे 70 हजार रुपये का ही ऋणमाफी लाभ मिलेगा।
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