एग्रीनेशन नेटवर्क
मथुरा | 11 जुलाई 2017
पिछले सप्ताह मथुरा में हुई बैठक में भारतीय कृषि विश्वविद्यालय संघ ने देश में एग्रीकल्चर कैबिनेट के गठन की मांग की है। कृषि संघ के मुताबिक खेती के बेहतर भविष्य के लिए यह सबसे जरूरी है। इसके अलावा एग्रीकल्चर कमीशन बनाने की मांग भी की गई है। कृषि विश्वविद्यालय संघ भारत के सभी कृषि विश्वविद्यालयों का संयुक्त मंच है। इससे वेटेरिनरी, मछली उत्पादन, कृषि अनुसंधान संस्थान भी जुड़े हुए हैं।
राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक मथुरा स्थित वेटेरिनरी विश्वविद्यालय में हुई।
संघ के अध्यक्ष और असम कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. केएम बुजरबरुआ के मुताबिक कृषि को लेकर दिक्कतें बढ़ रही हैं।
- खेती का रकबा लगातार कम हो रहा है
- कृषि से जुड़ीं तमाम संस्थाओं के बीच समन्वय नहीं है।
- कृषि की जरूरत की तरफ ध्यान ज्यादा नहीं है
- अक्सर किसानों को समय पर पानी नहीं मिलता
- किसानों की फसल को उनकी लागत के माफिक बाजार नहीं मिलता
राष्ट्रीय एग्रीकल्चर कैबिनेट का गठन हो
बुजरबरुआ के मुताबिक सरकार को राष्ट्रीय एग्रीकल्चर कैबिनेट का गठन करना चाहिए। जो किसान और खेती से जुड़ी तमाम दिक्कतों पर बिना वक्त गंवाएं फैसला करे।
कैसा हो एग्रीकल्चर कैबिनेट का ढांचा
- हर मुख्यमंत्री उस राज्य की एग्रीकल्चर कैबिनेट का प्रमुख हो
- कृषि से जुड़े सभी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हों
- सिंचाई, पीडब्ल्यूडी और फाइनेंस के विशेषज्ञों को शामिल किया जाए।
कृषि विश्वविद्यालयों की हालत खराब
डॉ. बुजरबरूआ ने बताया कि देश के तमाम कृषि विश्वविद्यालय इन दिनों काबिल स्टाफ और बजट की कमी से जूझ रहे हैं। उन्हें जरूरत का 30 परसेंट बजट ही मिलता है। सबसे पहले इस कमी को दूर किया जाए। संघ की बैठक में इस पर एक प्रस्ताव तैयार किया है, इसे केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा।
आणंद कृषि विश्वविद्यालय, गुजरात के कुलपति डॉ. एनसी पटेल के मुताबिक उपज का 25 से 40 परसेंट बर्बाद हो रहा है। इसे रोकने के लिए भी तत्काल उपाय किए जाने चाहिए।
‘मार्केट को जानो’
जवाहरलाल कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति डा. वीएस तोमर ने सुझाव दिया कि किसानों को नए बीज, नए उपयोग और नए तरीकों के लिए तैयार किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने ‘मार्केट को जानो’ का सुझाव दिया।
कारपोरेट खेती को माहौल बनाएं
डॉ. बुजरबरुआ के मुताबिक देश में कारपोरेट खेती से लिए माहौल तैयार करना जरूरी है। खेती को मुनाफे और बाजार की मांग के मुताबिक बनाने के लिए यह जरूरी है।
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