एग्रीनेशन न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ. 25 सितम्बर 2018
फसलों के अपशिष्ट जलाने पर प्रदूषण फैलने के साथ खेतों की उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। इसको लेकर किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
पीलीभीत में आयोजित किसान गोष्ठी में किसानों को वैज्ञानिक तकनीकी से फसलों की पैदावार बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया गया। गोष्ठी में किसानों से खेतों के अपशिष्ट न जलाने की अपील की गई। किसानों को सरकार की कृषि मशीनरी एवं हायर कटिंग के प्रचार और नवीन विधि योजना की जानकारी भी दी गई। सोमवार को कृषि उप संभागीय कार्यालय फसल अवशेष प्रबंधन के लिए कृषि मशीनरी उपयोग एवं प्रोत्साहन परियोजना के तहत किसान गोष्ठी हुई।
इसमें कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को वैज्ञानिक तकनीकी से फसलों की पैदावार बढ़ाए जाने का प्रशिक्षण दिया। गोष्ठी में उप कृषि निदेशक अनिल कुमार तिवारी ने किसानों को बताया कि खेतों में फसल के ठूठे, अपशिष्ट जला दिए जाते हैं। इससे प्रदूषण तो फैलता ही है खेत की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो जाती है। इससे बचने के लिए अब ऐसे कृषि यंत्रों से फसल अवशेषों को मार्चलिंग करके खेतों में काटा और सड़ाया जा सकता है।
इससे अवशेष खेत में ही मिल जाएंगे। कृषि वैज्ञानिक एसएस ढाका ने किसानों को बताया कि ब्लाक स्तर पर सरकार की कृषि मशीनरी एवं हायर कटिंग के प्रचार और नवीन विधि की योजना लागू की गई है। अब तक किसान उपज काटने के बाद कृषि अवशेषों में आग लगा देते हैं।
इससे क्षेत्र में प्रदूषण है और उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। मशीनों का प्रयोग करने से अवशेषों को मिट्टी में मिलाकर सड़ाया जा सकता है। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा और खेत की उर्वरा शक्ति भी कम नहीं होगी।
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