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कृषि वैज्ञानिक किसानो से मिलकर तलाशेंगे बेहतर संभावनाए

एग्रीनेशन न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ. 8 मई 2018

नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक अब खेतों पर जाकर खेती किसानी की नब्ज टटोलेंगे। इसके लिए विश्वविद्यालय के छह कृषि विज्ञान केंद्र साउथ एशिया में चल रहे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘दि सेंट्रल सिस्टम इनीशिएटिव फॉर साउथ एशिया’ से जुड़ कर काम करेंगे।
बिल एण्ड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के तहत संचालित ‘दि सेंट्रल सिस्टम इनीशिएटिव फॉर साउथ एशिया’ प्रोजेक्ट में किसानों की धान, गेहूं और मक्का की फसलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। कृषि वैज्ञानिकों का दल किसानों के खेत पर जाकर इन फसलों के आंकड़े एकत्र करेगा। वैज्ञानिक उत्पादन व उत्पादकता की जानकारी लेने के साथ उत्पादन में वृद्धि व आय बढ़ाने एवं लागत कम करने के लिए प्रयास करेंगे।
नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.जेएस संधू ने बीती 20 फरवरी को कार्यभार ग्रहण करने के बाद से ही किसानों के आर्थिक स्तर में सुधारने के लिए प्रयास शुरू कर दिया था। इसके लिए प्रसार तंत्र को भी हमेशा सक्रिय रहने का प्रयास किया। अब किसानों के खेतों पर जाकर उनकी रुचि जानने के प्रयास को महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
प्रोजेक्ट के प्रथम चरण में सोमवार से कृषि विश्वविद्यालय में सम्बंधित कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला शुरू हुई। कार्यशाला का आयोजन प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय समन्वयक जाने-माने प्रसार वैज्ञानिक डॉ. आरके मालिक के मार्गदर्शन में विभिन्न क्षेत्र के अनुभवी विशेषज्ञों की ओर से किया जा रहा है।
विश्वविद्यालय के निदेशक प्रसार डॉ. एपी राव, निदेशक शोध डॉ. एनबी सिंह, अधिष्ठाता कृषि डॉ. केएन सिंह व अधिष्ठाता उद्यान एवं वानिकी डॉ. विक्रमा प्रसाद पांडेय ने प्रोजेक्ट की सराहना की। उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश की भौगोलिक, जलवायु परिस्थितियों तथा प्राकृतिक संसाधनों की बेहतर स्थिति के बीच किसानों की आर्थिक स्थिति में बढ़ाने, प्रदेश की उत्पादकता एवं सकल उत्पादन में आशा के अनुरूप वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण करार दिया।
यह प्रोजेक्ट कृषि विश्वविद्यालय के महराजगंज, गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, मऊ,चंदौली व बलिया कृषि विज्ञान केंद्रों पर संचालित किया जाना है। इस कार्यक्रम में पूर्वी उत्तर प्रदेश में अन्य संस्थाओं के कृषि विज्ञान केंद्रों समेत बिहार व नेपाल के केंद्रों के भी वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

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