देश का पहला स्वाभाविक एग्रीकल्चर बजट

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देश का पहला स्वाभाविक एग्रीकल्चर बजट

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बजट  2017-18 में एग्रीकल्चर और गांवों के लिए करीब दो लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया है। डेयरी प्रोसेसिंग के लिए 8000 करोड़ रुपए का नया फंड मिला है। लेकिन क्या किसान संगठन इससे खुश हैं? खुद सत्ताधारी बीजेपी के किसान नेता इस बजट को कितने नंबर देंगे। आगे एग्रीकल्चर और पशुपालन सेक्टर में और क्या बड़ा कदम उठाने की सरकार की योजना है। एग्रीनेशन के अरुण पांडेय ने बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह से बातचीत की

कृषि और उससे जुड़े सेक्टर के लिए करीब दो लाख करोड़, क्या आप इससे संतुष्ट हैं

आजादी के बाद किसी भी सरकार का सबसे बड़ा बजट है। आप सोचिए क्या किसी और वित्तमंत्री ने करीब दो लाख करोड़ रुपए एग्रीकल्चर को दिए हैं। पहली बार बजट में कृषि और किसान को इतनी तरजीह दी गई है और अभी ये शुरूआत है। आगे किसानों के हित में सरकार और बड़े फैसले लेने वाली है। निश्चित तौर पर यह भारत के मूड के हिसाब का स्वाभाविक बजट है।

वीरेंद्र की बजट की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है, ऐसी कौन सी अहम योजनाएं हैं जो देश में खेती की तस्वीर बदल सकती हैं?

वीरेंद्र सिंह: देखिए मेरे हिसाब से ड्रॉप, मोर क्रॉप नाम से लघु सिंचाई योजना एकदम नई बात है। इसके लिए 5000 करोड़ का फंड दिया गया है। पानी के कम इस्तेमाल से बेहतर तरीके से फसल कैसे उगाएं। मनरेगा में रिकॉर्ड 48,000 करोड़ रुपए और मनरेगा के तहत तलाब, गोबर खाद के लिए गड्डे जैसे काम कराए जाएंगे इससे उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में आदर्श कानून बनाने के प्रस्ताव से कृषि में ज्यादा निवेश आएगा और कॉरपोरेट सेक्टर की भी भागीदारी बढ़ेगी और दलालों की भूमिका भी खत्म होगी। इसके अलावा कृषि लोन के लिए रिकॉर्ड 10 लाख करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। पिछले बजट में यह 9 लाख करोड़ रुपए था।

ploughingप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि अगले 5 साल में किसानों की आय दोगुनी कर दी जाएगी, क्या ये मुमकिन है ?

सरकार कई मोर्चों में एकसाथ काम कर रही है। फसल खरीद में बिचौलियों की भूमिका खत्म करने का सिस्टम तैयार किया जा रहा है। किसानों को फसल की वाजिब कीमत मिले लेकिन यह सुनिश्चित करना भी सरकार का काम है कि महंगाई ना बढ़ने पाए। पूरी व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की दिशा में काम जारी है और जल्द ही इसके नतीजे दिखने लगेंगे।

ज्यादातर किसान ऐसे हैं जिनके पास बहुत कम जमीन है और उनके पास साधन नहीं हैं, उनके लिए क्या करेगी सरकार

किसानों के साथ  खेतिहर मजदूरों के लिए भी सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। उनके फसली ऋण माफ करने की योजना बनाई है साथ ही भविष्य में उन्हें किसानी के लिए बिना ब्याज के कर्ज देने की भी योजना है। बैंकों और सरकार के आंकड़ों के मुताबिक सही वक्त पर कर्ज लौटाने में किसानों का रिकॉर्ड बहुत शानदार है। 10 लाख करोड़ रुपए फसल बीमा के लिए दिए गए हैं। इसके अलावा किसान क्रेडिट कार्ड के लिए अगल से फंड आवंटित किया जा रहा है।

लेकिन वीरेंद्र जी कई बार सरकार के एक्शन और फैसलों पर तारतम्य नहीं दिखता। जैसे इस बार गेहूं की बंपर फसल के अनुमान के बावजूद, अचानक सरकार ने गेहूं के इंपोर्ट पर 10 परसेंट ड्यूटी हटाने का एलान कर दिया। ऐसे मनमाने फैसले रोकने का क्या तरीका है

दरअसल  जमीनी हकीकत मालूम नहीं होने की वजह से नौकरशाही कई बार गलत फैसले ले लेती है। अक्सर उन्हें जमीनी हकीकत पता ही नहीं होती। अधिकारियों ने बिना सोचे समझे गेहूं पर 10 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी हटाने का फैसला ले लिया। जबकि देश में गेहूं के पर्याप्त भंडार हैं। लेकिन अधिकारियों ने गलत अनुमान लगाया कि देश में गेहूं की कमी हो सकती है। मुझे लगता है कई बार ब्यूरोक्रेसी का मकसद ईमानदार नहीं होता। मेरी आपत्ति के बाद खाद्य और आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने साफ किया कि गेहूं का इंपोर्ट नहीं होगा

एग्रीकल्चर से जुड़े फैसले लेने में बहुत देर क्यों होती है, क्या वजह है कैसे ठीक होगा ये सब…

कृषि की सबसे बड़ी मुश्किल है कि पूरा सेक्टर 7-8 मंत्रालयों में बंटा है। बजट वित्तमंत्रालय देता है। इंपोर्ट और एक्सपोर्ट वाणिज्य मंत्रालय के तहत है, सप्लाई फूड मंत्रालय के जिम्मे है। सिंचाई के लिए अलग मंत्रालय है। जबकि प्राकृतिक आपदा में गृह मंत्रालय की निगरानी होती है। इन सबसे छूटा तो अनाज खरीद की जवाबदेही राज्य सरकारों के जिम्मे है। इसलिए बीजेपी किसान मोर्चा ने केंद्र से सिंगल विंडो जैसी व्यवस्था बनाने की सिफारिश की है, ताकि किसानों से जुड़े फैसलों में देरी ना हो। मध्यप्रदेश और राजस्थान में इस तरह की सिंगल विंडो क्लीरिएंस व्यवस्था के अच्छे नतीजे भी दिखे हैं।

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सबसे बड़ा कदम किसानों की लागत कम करने की तरफ उठाया गया है। जैसे सोलर पंप लगाने के लिए सरकारी मदद दी जा रही है। इससे उनकी सिंचाई लागत में 45 परसेंट कमी आएगी। साथ ही वो ज्यादा फसल ले सकेंगे। इसके अलावा  दलहन और तिलहन को अच्छे समर्थन मूल्य दिए गए हैं इससे उनकी बुआई का रकबा बढ़ गया है। शायद अगले कुछ साल में दलहन और तिलहन का इंपोर्ट करने की जरूरत ही ना रहे। सरकार की नीतियों का ही असर है कि रबी और खरीब की फसलों की रिकॉर्ड बुआई हुई है। इस साल गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार की उम्मीद है।

लेकिन अनाज खरीद में लापरवाही की बहुत शिकायतें आ रही हैं, किसानों को सही वक्त पर पेमेंट भी नहीं हो रहा है, ये कैसे ठीक होगा

दरअसल राज्यों की तरफ से लापरवाही के बहुत से मामले सामने आए हैं। इससे किसानों को बहुत नुकसान हो रहा है। खास तौर पर उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में किसानों की हालत बहुत खराब है। पश्चिम बंगाल में तो धान की खरीदी में घोटाला हुआ है और बीजेपी ने इसके खिलाफ आंदोलन भी किया था। इसी उत्तर प्रदेश भी कृषि के मामले में लगातार पिछड़ता जा रहा है।

आजकल दुनियाभर में ऑर्गेनिक खेती बहुत लोकप्रिय हो रही है, कीटनाशक का इस्तेमाल कम करने और ऑर्गेनिक खेती के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है

आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कैमिकल खादों के इस्तेमाल को कम करने की सलाह दी जा रही है। इनकी जगह गोबर और कचरे से बनने वाली खाद के लिए 1500 रुपए टन सब्सिडी दी जा रही है। सरकार ने यह फैसला भी किया है कि मनरेगा का पैसा वृक्षारोपण और आर्गेनिक खाद में खर्च किया जाएगा। इसके साथ ही नीम कोटेड यूरिया की सप्लाई बढ़ाई जा रही है। इससे कैमिकल कीटनाशक का इस्तेमाल खत्म हो जाएगा और फर्टिलाइजर चोरी भी रोकने में मदद मिली है।

पशुपालन भी उभरता हुआ क्षेत्र हैं जिसमें किसानों को बड़ी आमदनी हो सकती है, सरकार ने डेयरी सेक्टर के लिए बड़ी रकम भी दी है, लेकिन इससे किसानों को कैसे फायदा होगा इसकी कोई ठोस योजना नहीं बताई गई है, आप इस पर क्या कहेंगे

कृषि के साथ पशुपालन की भी मदद जरूरी है। सरकार ने पहली बार डेयरी सेक्टर के अपग्रेडेशन के लिए 8000 करोड़ रुपए का डेयरी फंड भी बनाया है। इससे किसानों को भी आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही हरेक किसान को 5 दुधारू पशु देने की भी योजना जल्द आने की उम्मीद है। इसमें किसानों को 90 परसेंट सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा पहली बार सरकार की तरफ से भेड़ पालक ऊन का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए योजना तैयार की है। इसी तरह रेशम का उत्पादन के लिए भी किसानों को मदद दिलाने के लिए कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने सहायता का भरोसा दिया है।

नोटबंदी की वजह से किसानों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तो उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बना लिया है, आपका इस मामले में क्या रुख है…

नोटबंदी को किसानों ने भरपूर समर्थन दिया है। बल्कि इससे फिजूलखर्जी रोकने में बहुत मदद मिली है और वो खुश हैं। राहुल गांधी और अखिलेश दोनों हास्यास्पद बातें कर रहे हैं। उन्हें किसानों से जुड़े मामलों की समझ ही नहीं है। इसलिए तो बजट के लिए भी दोनों ने कुतर्क दिया था कि इसमें किसानों के लिए कुछ नहीं है।

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