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अब गलेगी दाल, हरकत में सरकार

अमिताभ दुबे 

पिछले साल दाल की आसमान छूती क़ीमतों से चौतरफा हमला झेल चुकी केंद्र सरकार इस साल काफी सतर्क दिख रही है। यही वजह है कि सरकार ने कुल बफर स्टॉक के लक्ष्य का 50 परसेंट दाल ख़रीद ली है। सरकार के बफर में 10 लाख टन से ज़्यादा का दाल स्टॉक हो चुका है। केंद्र ने इस साल 20 लाख टन दालों का बफर स्टॉक बनाने का लक्ष्य रखा है। सरकारी एजेंसियों ने इस ख़रीफ सीज़न में 5 लाख टन से ज़्यादा दालों की ख़रीद है, जबकि बाकी के करीब 5 लाख टन इंपोर्ट के सौदे हुए हैं। नेफेड ने करीब 3.39 लाख टन, एफसीआई ने करीब 1.31 लाख टन और एसएफएसी ने करीब 57 हजार टन दाल ख़रीद की है। केंद्र ने इस ख़रीफ सीज़न में 9.5 लाख टन दाल ख़रीद का लक्ष्य रखा है। 6 लाख टन तुअर, 1 लाख टन उड़द, 2.5 लाख टन मूंग ख़रीद का लक्ष्य तय किया गया है। इसमें से अब तक 2.3 लाख टन तुअर, 87 हजार टन उड़द और 2.10 लाख टन मूंग की ख़रीद हो चुकी है।  इसके लिए देशभर में कुल 971 ख़रीद केंद्र खोले गए हैं।

घरेलू बाज़ार में ख़रीदारी के साथ-साथ सरकार का इंपोर्ट पर भी फोकस बरकरार है। सरकारी एजेंसी एमएमटीसी और एसटीसी ने 4.06 लाख टन दलहन इंपोर्ट के सौदे किए हैं, जिसमें से 2.89 लाख दालें देश में पहुंच चुकी हैं।

दाल उत्पादन का समीकरण

downloadदाल की क़ीमतों में पिछले बेतहाशा बढ़ोतरी हुई थी और उसे देखकर किसानों ने इस साल दलहन की जमकर बुआई की है। यही वजह है कि इस साल ख़रीफ सीज़न में दलहन का उत्पादन 32 लाख टन से ज़्यादा बढ़ने की उम्मीद है। इस ख़रीफ सीज़न में 87 लाख टन दलहन की उत्पादन की संभावना है, जबकि पिछले साल 55 लाख 40 हजार टन ख़रीफ दलहन का उत्पादन हुआ था। 2016 में 200 रुपए तक पहुंच चुकी अरहरका उत्पादन करीब करीब दोगुना होने की उम्मीद है। अरहर का उत्पादन 42 लाख 90 हजार टन होने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 24 लाख 60 हजार टन था। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि अरहर की बंपर पैदावार से क़ीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चली गई हैं, जिससे किसानों को नकुसान हो रहा है। अरहर की एमएसपी 5,050 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि दाम 4,500 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे चले गए हैं। इस साल रबी सीज़न में जबर्दस्त दलहन पैदावार की उम्मीद है। इस रबी सीज़न में किसानों ने 160 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुआई की है, जबकि पिछले साल 144 लाख हेक्टेयर से कम में रबी दलहन की बुआई हुई थी। सबसे बड़ी रबी दलहन की फ़सल, चने की बुआई इस साल करीब 10 लाख हेक्टेयर ज़्यादा में हुई है। चने की बुआई का रकबा 99 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा है।

 दालों पर घटा मुनाफा, सरकार पूरा करे वादा

दाल का बफर स्टॉक तो बढ़ाना अच्छी बात है। लेकिन सरकार को किसानों की भी फिक्र करनी पड़ेगी। देश में सबसे ज़्यादा अरहर की ख़ेती वाला इलाका विदर्भ का सूरते-ए-हाल बताते हैं। एक एकड़ में करीब 3 क्विंटल के आसपास अरहर की पैदावार होती है, जिसमें लागत करीब 7 हजार रुपये आती है। लेकिन इस साल वहां के किसानों को प्रति एक एकड़ पर सिर्फ 12 हजार रुपये ही आय हुई।  यानी एक एकड़ अरहर की ख़ेती पर सिर्फ 5 हजार रुपये का मुनाफ़ा, वो भी करीब 7 महीने की मेहनत के बाद। अरहर की बुआई जून में होती है और फ़सल जनवरी में तैयार होना शुरू होती है। पिछले साल इसी एक एकड़ अरहर की खेती में किसानों को 20 हजार रुपये तक का मुनाफ़ा मिला था। पिछले साल 9 हजार रुपये प्रति क्विंटल से भी ज़्यादा के भाव पर किसानों ने अरहर बेचा था लेकिन इस साल 4500 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम का भाव मिल रहा है। जानकारों का मानना है कि सरकार को तुरंत इंपोर्ट कम कर दलहन की घरेलू ख़रीद और बढ़ानी चाहिए, निजी कारोबारियों को दलहन ख़रीद करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए और दालों पर स्टॉक लिमिट हटा देनी चाहिए। सरकार को ये सुनिश्चित करना चाहिए किसानों को किसी भी हाल में एमएसपी से नीचे के भाव पर दाल नही बेचनी पड़े।

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