कृषि को उधोग का दर्जा देने का ‘प्रयास’

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कृषि को उधोग का दर्जा देने का ‘प्रयास’

एग्रीनेशन ब्यूरो:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र घोषित कुल 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की तीसरी कड़ी में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए कुल 1,63,300 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाओं की घोषणा की है।

किसानों के लिए वित्त मंत्री द्वारा की गई प्रमुख घोषणाएं निम्नांकित हैं:

–         आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 में बदलाव- दाल, खाने के तेल, प्याज और आलू जैसे उत्पादों डिरेगुलेट किया जाएगा ताकि किसान ज़रूरत के हिसाब से अपने इन उत्पादों को बेच सकें।

–         कहीं भी बेच सकेंगे फसल- किसानों के लिए अवरोधरहित अंतरराज्यीय व्यापार सुगम बनाने के लिए कानून में संशोधन किया जाएगा। अब किसान आसानी से अपने उत्पाद दूसरे राज्यों में बेच सकेंगे। इससे किसानों को बेहतर कीमत मिल सकेगी।

–         ऑपरेशन ग्रीन्स का विस्तार- ऑपरेशन ग्रीन्स को टमाटर, आलू और प्याज (TOP) से लेकर सभी फलों और सब्जियों (TOTAL) तक बढ़ाया जाएगा। इसके लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

–         मछुआरों की सहायता- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इससे अगले पांच वर्षों में अतिरिक्त 70 लाख टन मछली उत्पादन होगा, भारत का मत्स्य निर्यात बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा, और 55 लाख रोज़गार सृजित होंगे।

–         मधुमक्खी पालकों की मदद- मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये की सहायता का प्रावधान। इससे मधुमक्खी पालन के लिए आधारभूत संरचना का निर्माण किया जाएगा, और 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ सकेगी।

–         पशुपालन सेक्टर के लिए सहायता- नए पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड के लिए 15,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। 53 करोड़ मवेशियों का टीकाकरण किया जाएगा। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए 13,343 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं।

–         हर्बल पौधों का उत्पादन- हर्बल पौधों की खेती के लिए 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। करीब 10 लाख हेक्टेयर में हर्बल खेती होगी, इससे किसानों को 5,000 करोड़ रुपये की आय हो सकेगी। गंगा के किनारे 800 हेक्टेयर क्षेत्र में हर्बल प्रोडक्ट्स के लिए कॉरिडोर बनाया जाएगा।

–         माइक्रो फूड प्रोसेसिंग उद्यमों की मदद- सूक्ष्य खाद्य संस्करण इकाइयों के लिए 10,000 करोड़ रुपये की योजना लाई जा रही है। करीब 2 लाख इकाइयों को इसका लाभ मिलेगा। ये योजना कलस्टर आधारित होगी, जैसे- बिहार का मखाना, यूपी के आम, जम्मू-कश्मीर के केसर आदि के लिए अलग-अलग कलस्टर बनाए जाएंगे।

–         भंडारण क्षमता बढ़ाने के उपाय- कृषि उत्पादों के भंडारण संबंधी अवरोधों को दूर करने के लिए 1 लाख करोड़ रुपए का फंड दिया जाएगा। कृषि भंडारण में मदद के लिए कृषक सहकारी समितियों और समूहों को आर्थिक मदद दी जाएगी। इन उपायों के कारण कृषि उत्पादों की कीमत बढ़ेगी, निर्यात में मदद मिलेगी, और परिणाम स्वरूप किसानों की आय बढ़ सकेगी।

–         कानूनी सुधार- किसान को अपनी उपज को उचित मूल्य पर बेचने के पर्याप्त विकल्प उपलब्ध कराने के लिए एक केंद्रीय कानून तैयार किया जाएगा। कृषि विपणन की मौजूदा व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। किसानों को उचित और पारदर्शी रूप से  प्रोसेसर, एग्रीगेटर्स, बड़े रिटेलर्स, एक्सपोर्टर्स आदि से जुड़ने में सक्षम बनाने के लिए सुविधाजनक कानूनी फ्रेमवर्क बनाया जाएगा।

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