‘सरकार से ज्यादा सहकारिता का नारा बुलंद करें किसान’

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‘सरकार से ज्यादा सहकारिता का नारा बुलंद करें किसान’

कल ​दिल्ली में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जनपद में नहर आन्दोलन के अगुआ विनोद कुमार जी (गांव,गरीब,गांधी) को जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह द्वारा उनके  उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित करेंगे | प्रस्तुत है एग्री नेशन से उनकी बातचित.
1. आज़मगढ़ में किसान और कृषि की मुख्य समस्याएं क्या हैं?
पानी के आभाव में लोग खेती नही कर पा रहे है, कृषि ही एक मात्र साधन है,जिससे सभ्यता जिंदा रह सकती है, खेती  से विमुख होना पलायन का एक बड़ा कारण भी है।
2. आपने आज़मगढ़ में नहर आंदोलन शुरू किया है? आज़मगढ़ में इस आंदोलन की आवश्यकता क्यों पड़ी?
रेगिस्तान के बारे पढ़ा था,पर आज़मगढ़ को रेगिस्तान बनते देख रहा था,बचपन मे जो जल स्तर 40 फुट पर था,आज वो स्तर 220 फिट नीचे चला गया,40 फुट पर जो पानी था,वह मीठा था।220 फुट पर जो पानी है,वह खारा है।पीने योग्य नही है।

​ ​अतः पानी का टेस्ट कराया तो आर्सेनिक लेबल 200 के पास मिला जो कि ज़हर है।प्रशासन को अवगत कराया,गांव-गांव घूमने लगा तो पाया कि लोग घुटने की बीमारी के साथ साथ अंगुलिया का टेढ़ा होना,पैरों का टेढ़ा होना सामान्य सा गावो में दिखने लगा,लोगो को इकठ्ठा किया।इन बीमारियों के मूल में पानी है,समझाने में समर्थ हुआ।पानी उपलब्ध हो जाये तो पलायन भी रुक जाएगा और रोजगार का साधन भी मिल जायेगा।
​ ​

बस पानी के लिए पागल बनकर मई जून की तड़पती धूप में गांव गाँव घूमने लगा।लोग हस्ताक्षर करने लगे,श्रमदान करने को तैयार हुए।आज उस नहर को सरकार ने सरकारी दर्जा दिया।

3. नहर आंदोलन के अभी तक क्या परिणाम निकल कर आये हैं?
लोग पानी की कीमत को सम​झने लगें है ​, ,बर्बाद करने से बचने लगे ​ है, कृषि की तरफ आकर्षित हो रहे है। ऐसे आंदोलन पूरे देश

​में  होने चाहिए।
4. एक संदेश किसानों को?
किसान भाई,सरकार से ज्यादा सहकारिता का नारा बुलंद करें, सहकारिता का भाव पैदा करें।
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